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प्रेमचंद प्रश्नोत्तरी

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प्रेमचंद प्रश्नोत्तरी

ये प्रश्नोत्तरी केंद्रीय विद्यालय अडूर पुस्तकालय द्वारा प्रस्तुत है।

बहुत बढ़िया! आपको पुरस्कार मिलना चाहिए।

Well done
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प्रेमचंद प्रश्नोत्तरी

ये प्रश्नोत्तरी केंद्रीय विद्यालय अडूर पुस्तकालय द्वारा प्रस्तुत है।

फिर प्रयास करें। आप और अच्छा कर सकते हैं।

Nice try

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#1. प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह "सप्त सरोज" कब प्रकाशित हुआ?

#2. प्रेमचंद का पहला उपनाम कौन सा था?

धनपत राय ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए अपना नाम बदलकर “प्रेमचंद” रख लिया था। इससे पहले सरकारी नौकरी करते हुए वह अपनी रचनाएं “नवाब राय” के रूप में प्रकाशित करवाते थे। लेकिन जब सरकार ने उनका पहला कहानी-संग्रह, “सोज़े वतन” जब्त किया, तब उन्हें अपना नाम परिवर्तित कर “प्रेमचंद” रखना पड़ा। सोजे-वतन के बाद उनकी सभी रचनाएं “प्रेमचंद” के नाम से ही प्रकाशित हुईं।

#3. "कुछ विचार" संग्रह में संकलित हैं ____________।

#4. निम्नलिखित में से कौन सी कहानी प्रेमचंद की नहीं है?

“आकाशदीप” जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई है।

#5. प्रेमचंद की कहानियों का संकलन "मानसरोवर" के कितने खंड हैं?

प्रेमचंद के निधनोपरांत “मानसरोवर” नाम से आठ खण्डों में प्रकाशित इस संकलन में उनकी दो सौ से भी अधिक कहानियाँ शामिल है।

#6. निम्न में से कौन सी रचना प्रेमचंद की नहीं हैं?

#7. प्रेमचंद का प्रसिद्ध उपन्यास निम्नलिखित में से कौन-सा है जो हिन्दी का "प्रथम मौलिक एवं युगांतकारी" उपन्यास माना जाता है

#8. प्रेमचंद की जीवन की अंतिम समय की कहानियों का स्वर था

#9. "होरी" प्रेमचंद द्वारा लिखित किस उपन्यास का नायक है?

#10. निम्नलिखित में से प्रेमचंद के कौन से उपन्यास व कहानी को अंतिम माना जाता है?

#11. प्रेमचंद को "प्रेमचंद" नाम किसने दिया?

#12. गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़ जाने के कारण लेखक प्रेमचंद ने क्या किया?

#13. प्रेमचंद का कार्यकाल निर्धारित करें

#14. प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने शीर्षक "प्रेमचंद घर में" पुस्तक कब प्रकाशित करवाई थी?

#15. किस रचना के नाम पर प्रेमचंद का साहित्य अंग्रेजी सरकार ने आपत्तिजनक घोषित किया?

१९०८ ई. में उनका पहला कहानी संग्रह “सोज़े-वतन” प्रकाशित हुआ। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत इस संग्रह को अंग्रेज़ सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया और इसकी सभी प्रतियाँ जब्त कर लीं और इसके लेखक नवाब राय को भविष्‍य में लेखन न करने की चेतावनी दी। इसके कारण उन्हें नाम बदलकर “प्रेमचंद” के नाम से लिखना पड़ा।
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